Friday, 3 March 2023

ज्ञान का भंडार अरविंद कुमार यादव 7380

 महाभारत महा काव्य के सबसे प्रसिद्ध पात्र जिन्हें हम भीष्म पितामह के नाम से जानते है. वास्तव में इनका नाम देवव्रत था और वे महाराज शांतनु एवम माता गंगा के पुत्र थे. गंगा ने शांतनु से वचन लिया था, कि वे कभी भी कुछ भी करे, उन्हें टोका नहीं जाये, अन्यथा वो चली जाएँगी. शांतनु उन्हें वचन दे देते हैं. विवाह के बाद गंगा अपने पुत्रो को जन्म के बाद गंगा में बहा देती, जिसे देख शांतनु को बहुत कष्ट होता है, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाते. इस तरह गंगा अपने सात पुत्रो को गंगा में बहा देती, जब आठवा पुत्र होता हैं, तब शांतनु से रहा नहीं जाता और वे गंगा को टोक देते हैं. जब गंगा बताती हैं कि वो देवी गंगा हैं और उनके सातों पुत्रो को श्राप मिला था, उन्हें श्राप मुक्त करने हेतु नदी में बहाया, लेकिन अब वे अपने आठवे पुत्र को लेकर जा रही हैं, क्यूंकि शांतनु ने अपना वचन भंग किया हैं.कई वर्ष बीत जाते हैं, शांतनु उदास हर रोज गंगा के तट पर आते थे, एक दिन उन्हें वहां एक बलशाली युवक दिखाई दिया, जिसे देख शांतनु ठहर गये, तब देवी गंगा प्रकट हुई और उन्होंने शांतनु से कहा, कि यह बलवान वीर आपका आठवा पुत्र हैं इसे सभी वेदों, पुराणों एवम शस्त्र अस्त्र का ज्ञान हैं, इसके गुरु स्वयं भगवान परशुराम हैं और इसका नाम देवव्रत हैं जिसे मैं आपको सौंप रही हूँ. यह सुन शांतनु प्रसन्न हो जाते हैं और उत्साह के साथ देवव्रत को हस्तिनापुर ले जाते हैं और अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर देते हैं, लेकिन नियति इसके बहुत विपरीत थी. इनके एक वचन ने इनका नाम एवम कर्म दोनों की दिशा ही बदल दी


bhishma pitamahभीष्म पितामह की जयंती को ‘भीष्म अष्टमी’ के नाम से भी जाना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि बाणों की शैय्या पर लेटे लेटे तकरीबन 58 दिनों के बाद ही भीष्म पितामह ने अपनी इच्छा से अपने प्राण त्यागे थे। भीष्मा पितामह की जयंती को हिंदू धर्म में एक शुभ दिन माना जाता है। लोग इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध करते है। इसके साथ ही अपने घर के आसपास स्थित नदी या फिर तालाब के पास जाकर के तर्पण की विधि को भी पूरा करते हैं और अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति की कामना करते हैं। इस दिन गंगा में भी कई लोग स्नान करते हैं और भगवान से मृत्यु के बाद मोक्ष की कामना करते हैं। भीष्म पितामह की जयंती पर लोग हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में मौजूद भीष्म कुंड में जाकर के स्नान करते हैं और वहां पर अपने-अपने देवी देवता की पूजा करते हैं।

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